बीज की शिनाख़्त के लिए
ज़रूरी है
किसी किसान का मुख़बिर होना
तुम चुने गए
इसलिए कि ज़मींदार की सेहत के लिए
ख़तरनाक बीज
पहचान लिए जाएँ
और तुमने अपने काम को
ब ख़ूबी अंजाम दिया
दरअसल तुमने वह सब किया
जो तुम्हारे वश में था
एक चतुर काश्तकार होने के नाते
तुमने संकर क़िस्में विकसित कीं
तुमने उर्वरक खोजे
और बुआई से पहले
हर बार
बीजों को कल्चर किया
क्या सचमुच
सिर्फ़ ज़मींदार के खलिहान
और सेहत की ख़ातिर ?
कितने मासूम हो तुम
बंधुआ मज़दूर !
क्योंकि नहीं जानते तुम
कि शिनाख़्त हो चुकने के बावजूद
ज़मींदार की सेहत के लिए
ख़तरनाक बीज
ऊगना सीख चुके हैं !
वक़्त आ चुका है
अब
नये अंकुरों के पहले शिकार
मुख़बिर होंगे !
( 1984 )
-सुरेश स्वप्निल
* प्रकाशन: अनेक लघु पत्रिकाओं में, 1984 से 1989 के मध्य। पुनः प्रकाशन हेतु उपलब्ध।
ज़रूरी है
किसी किसान का मुख़बिर होना
तुम चुने गए
इसलिए कि ज़मींदार की सेहत के लिए
ख़तरनाक बीज
पहचान लिए जाएँ
और तुमने अपने काम को
ब ख़ूबी अंजाम दिया
दरअसल तुमने वह सब किया
जो तुम्हारे वश में था
एक चतुर काश्तकार होने के नाते
तुमने संकर क़िस्में विकसित कीं
तुमने उर्वरक खोजे
और बुआई से पहले
हर बार
बीजों को कल्चर किया
क्या सचमुच
सिर्फ़ ज़मींदार के खलिहान
और सेहत की ख़ातिर ?
कितने मासूम हो तुम
बंधुआ मज़दूर !
क्योंकि नहीं जानते तुम
कि शिनाख़्त हो चुकने के बावजूद
ज़मींदार की सेहत के लिए
ख़तरनाक बीज
ऊगना सीख चुके हैं !
वक़्त आ चुका है
अब
नये अंकुरों के पहले शिकार
मुख़बिर होंगे !
( 1984 )
-सुरेश स्वप्निल
* प्रकाशन: अनेक लघु पत्रिकाओं में, 1984 से 1989 के मध्य। पुनः प्रकाशन हेतु उपलब्ध।
2 टिप्पणियां:
सारगर्भित पोस्ट .....
धन्यवाद, सुनील भाई.
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