कोई प्रतिरोध नहीं
कोई प्रतिकार नहीं
कहीं कोई विरोध का स्वर नहीं
यदि यही रवैया रहा जनता का
यदि ऐसे ही चलती रहीं सरकारें
यदि ऐसे ही बढ़ती रही मंहगाई
और बेरोज़गारी
तो इत्मीनान रखिए
कोई नहीं बचा सकता देश को
उसकी स्वतंत्रता, संप्रभुता, एकता
और अखंडता को….
सरकारें चाहती हैं
सब कुछ चलता रहे यों ही
सब कुछ सहती रहे जनता….
मूर्ख हैं हम और आप
या कायर
कि होने दें सरकार की सारी इच्छाएं पूरी ???
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
कोई प्रतिकार नहीं
कहीं कोई विरोध का स्वर नहीं
यदि यही रवैया रहा जनता का
यदि ऐसे ही चलती रहीं सरकारें
यदि ऐसे ही बढ़ती रही मंहगाई
और बेरोज़गारी
तो इत्मीनान रखिए
कोई नहीं बचा सकता देश को
उसकी स्वतंत्रता, संप्रभुता, एकता
और अखंडता को….
सरकारें चाहती हैं
सब कुछ चलता रहे यों ही
सब कुछ सहती रहे जनता….
मूर्ख हैं हम और आप
या कायर
कि होने दें सरकार की सारी इच्छाएं पूरी ???
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें