स्थिति नियंत्रण में है
फ़िलहाल
लोग केवल रात में
मर-मार रहे हैं
एक-दूसरे को
वह भी आठ-दस…
औसतन प्रति-दिन !
लगभग दस करोड़ की
जन-संख्या में इतनी मौतें
यूं भी हो ही जाती हैं
और यह अधिकार मिलना चाहिए
लोकतांत्रिक रूप से
चुनी गई सरकार को
कि इस नाम-मात्र की मृत्यु-दर को
सामान्य कह सके….
अब संविधान का तो ऐसा है
भाई जी
कि जिसकी लाठी, उसी की भैंस….
क़ानून भी
चलिए, मान लिया कि
सरकार असफल हो गई है हमारी
मगर अभी भी
बहुमत है हमारे पास
और केंद्रीय सत्ता, संविधान
और सर्वोच्च न्यायालय
सब हमारे पक्ष में हैं….
हम कह रहे हैं न
कि नियंत्रण में है स्थिति
आप मानें या न मानें
अगले चुनाव में हरा देना हमें
यदि संभव है, तो !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
फ़िलहाल
लोग केवल रात में
मर-मार रहे हैं
एक-दूसरे को
वह भी आठ-दस…
औसतन प्रति-दिन !
लगभग दस करोड़ की
जन-संख्या में इतनी मौतें
यूं भी हो ही जाती हैं
और यह अधिकार मिलना चाहिए
लोकतांत्रिक रूप से
चुनी गई सरकार को
कि इस नाम-मात्र की मृत्यु-दर को
सामान्य कह सके….
अब संविधान का तो ऐसा है
भाई जी
कि जिसकी लाठी, उसी की भैंस….
क़ानून भी
चलिए, मान लिया कि
सरकार असफल हो गई है हमारी
मगर अभी भी
बहुमत है हमारे पास
और केंद्रीय सत्ता, संविधान
और सर्वोच्च न्यायालय
सब हमारे पक्ष में हैं….
हम कह रहे हैं न
कि नियंत्रण में है स्थिति
आप मानें या न मानें
अगले चुनाव में हरा देना हमें
यदि संभव है, तो !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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