बहुत देर से ढूंढ रहा हूं
सारी दिल्ली छान ली
कहीं भी मुझे खाना नहीं मिला
एक, पांच या बारह रुपये में !
सरकार क्या यह भी नहीं जानती
कि खाना खाना बुनियादी ज़रूरत है
मनुष्य की
और निस्संदेह, यह परिहास का
विषय नहीं है
और क्या सरकार
यह भी नहीं जानती
कि उसके पास
नाम-मात्र का भी समय नहीं है
सत्ता के मार्ग पर
वापसी का ?
अब एक भी भूल
सारी संभावनाएं नष्ट कर देगी
तुम्हारी
और तुम्हारी आने वाली
कई पुश्तों की !
कैसे मूर्ख हो तुम
इतना भी नहीं जानते
कि तुमने
खो दिया है विश्वास
आम आदमी का !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
सारी दिल्ली छान ली
कहीं भी मुझे खाना नहीं मिला
एक, पांच या बारह रुपये में !
सरकार क्या यह भी नहीं जानती
कि खाना खाना बुनियादी ज़रूरत है
मनुष्य की
और निस्संदेह, यह परिहास का
विषय नहीं है
और क्या सरकार
यह भी नहीं जानती
कि उसके पास
नाम-मात्र का भी समय नहीं है
सत्ता के मार्ग पर
वापसी का ?
अब एक भी भूल
सारी संभावनाएं नष्ट कर देगी
तुम्हारी
और तुम्हारी आने वाली
कई पुश्तों की !
कैसे मूर्ख हो तुम
इतना भी नहीं जानते
कि तुमने
खो दिया है विश्वास
आम आदमी का !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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