दो ही जीव हैं संसार में
जो विलुप्ति की कगार पर हैं
पहली गौरैया, दूसरी लड़कियां !
एक समय था जब दोनों घर-आंगन,
खेत-खलिहान, गांव-शहर…
हर जगह चहचहाती नज़र आ जाती थीं
यहां तक कि स्वप्नों और कविताओं में भी !
अब गौरैयाएं केवल गहरे वनों में
और कभी-कभार खेतों में ही दिखती हैं
और लड़कियां ?
सिर्फ़ तस्वीरों और पुरातत्व की किताबों में !
आख़िर कौन निगल गया
दुनिया की आबादी को ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
*नवीनतम,पूर्णतः मौलिक/ अप्रकाशित/ अप्रसारित रचना। प्रकाशन हेतु उपलब्ध।
जो विलुप्ति की कगार पर हैं
पहली गौरैया, दूसरी लड़कियां !
एक समय था जब दोनों घर-आंगन,
खेत-खलिहान, गांव-शहर…
हर जगह चहचहाती नज़र आ जाती थीं
यहां तक कि स्वप्नों और कविताओं में भी !
अब गौरैयाएं केवल गहरे वनों में
और कभी-कभार खेतों में ही दिखती हैं
और लड़कियां ?
सिर्फ़ तस्वीरों और पुरातत्व की किताबों में !
आख़िर कौन निगल गया
दुनिया की आबादी को ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
*नवीनतम,पूर्णतः मौलिक/ अप्रकाशित/ अप्रसारित रचना। प्रकाशन हेतु उपलब्ध।
1 टिप्पणी:
सुंदर रचना, बधाई।
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