चीं-चीं-चुक्
उठो, मेरे प्यारे नन्हों
अपने पंखों से रगड़ कर
अपनी चोंचें साफ़ करो
दोनों पंजे और दोनों पंख
एक साथ उठाओ
और तैयार होओ
पहली उड़ान को !
देखो कि तुम्हारी चोंचों के इर्द-गिर्द
छाई
दूधिया सफ़ेदी
साफ़ हो चुकी है अब
और तुम सक्षम हो
बिल्लियों, कौवों और कुत्तों से
अपने बचाव में
देखो, तुम्हारे हर ओर
फैले हुए हैं
खेत, खलिहान और सूपों में
बिखरे हुए दाने
उठो, मेरे प्यारे नन्हों !
अपने कण्ठों को खोल कर
चुनौती का स्वर दो
अपने पंखों से रगड़ कर
अपनी चोंचें साफ़ करो
दोनों पंजे और दोनों पंख
एक साथ उठाओ
उड़ो, ऊंचे आकाश में
दाने की तलाश में !
( 1978 )
-सुरेश स्वप्निल
*प्रकाशन: 1978 से 1985 के मध्य, अनेक पत्र-पत्रिकाओं में। पुनः प्रकाशन हेतु उपलब्ध।
उठो, मेरे प्यारे नन्हों
अपने पंखों से रगड़ कर
अपनी चोंचें साफ़ करो
दोनों पंजे और दोनों पंख
एक साथ उठाओ
और तैयार होओ
पहली उड़ान को !
देखो कि तुम्हारी चोंचों के इर्द-गिर्द
छाई
दूधिया सफ़ेदी
साफ़ हो चुकी है अब
और तुम सक्षम हो
बिल्लियों, कौवों और कुत्तों से
अपने बचाव में
देखो, तुम्हारे हर ओर
फैले हुए हैं
खेत, खलिहान और सूपों में
बिखरे हुए दाने
उठो, मेरे प्यारे नन्हों !
अपने कण्ठों को खोल कर
चुनौती का स्वर दो
अपने पंखों से रगड़ कर
अपनी चोंचें साफ़ करो
दोनों पंजे और दोनों पंख
एक साथ उठाओ
उड़ो, ऊंचे आकाश में
दाने की तलाश में !
( 1978 )
-सुरेश स्वप्निल
*प्रकाशन: 1978 से 1985 के मध्य, अनेक पत्र-पत्रिकाओं में। पुनः प्रकाशन हेतु उपलब्ध।
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