चिड़िया ने देखा
बाली के भीतर
पका हुआ दाना
एक दिन
चिड़िया ने खोजी
संभावनाएं
दाने को पाने की
दूसरे दिन
तीसरे दिन की सुबह
पाया किसान ने
दाना नहीं था
बाली के भीतर !
चिड़िया
अधिक होशियार है किसान से
पका हुआ दाना
ले जाती है चिड़िया
खो देता है किसान !
मत सोचो कि चिड़िया
बनेगी किसान
किसी न किसी दिन
बल्कि, बदल जाने दो
किसानों के झुण्ड को
चिड़ियों की शक्ल में !
और, शुरू होने दो
अविराम संघर्ष
धरती के ऊपर
या धरती के भीतर
छिपे हुए गोदामों से
अपनी मेहनत से कमाए हुए दाने को
वापस ले आने को !
( 1979 )
-सुरेश स्वप्निल
* प्रकाशन : 'अंतर्यात्रा-13' एवं कुछ अन्य लघु पत्रिकाओं तथा समाचार पत्रों में।
बाली के भीतर
पका हुआ दाना
एक दिन
चिड़िया ने खोजी
संभावनाएं
दाने को पाने की
दूसरे दिन
तीसरे दिन की सुबह
पाया किसान ने
दाना नहीं था
बाली के भीतर !
चिड़िया
अधिक होशियार है किसान से
पका हुआ दाना
ले जाती है चिड़िया
खो देता है किसान !
मत सोचो कि चिड़िया
बनेगी किसान
किसी न किसी दिन
बल्कि, बदल जाने दो
किसानों के झुण्ड को
चिड़ियों की शक्ल में !
और, शुरू होने दो
अविराम संघर्ष
धरती के ऊपर
या धरती के भीतर
छिपे हुए गोदामों से
अपनी मेहनत से कमाए हुए दाने को
वापस ले आने को !
( 1979 )
-सुरेश स्वप्निल
* प्रकाशन : 'अंतर्यात्रा-13' एवं कुछ अन्य लघु पत्रिकाओं तथा समाचार पत्रों में।
1 टिप्पणी:
वाह...
बेहतरीन...गहन सोच लिए हुए रचना.
अनु
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