रख ले, भैये !
यह आज़ादी तू ही रख ले
लूट-मार कर खाने वाली
सब का हक़्क़ दबाने वाली
सब का गला काटने वाली
हर आज़ादी
तू ही रख ले !
लाल क़िले के ऊपर चढ़ जा
हाथ उठा कर
खुल कर चिल्ला
जितना झूठ बोल सकता है
ज़ोर-ज़ोर से बोल आज सब
तेरा दिन है !
हमको ऐसी आज़ादी तो
नहीं चाहिए
आटा-दाल, सब्ज़ियां ग़ायब
हर ग़रीब की थाली ख़ाली
हर किसान के माथे पर
पड़ रही लकीरें
जाने कब आ जाए महाजन
जाने कब बिक जाए खेत-घर !
हर अमीर को खुली छूट हो
सारा काला-पीला जायज़ !
जाने किसकी है आज़ादी
जाने कैसी यह आज़ादी
रख ले, भैये !
यह आज़ादी तू ही रख ले
अपनी हम ख़ुद ले आएंगे
लड़ कर, भिड़ कर
जैसे भी हो !
रख ले, भैये ! यह आज़ादी
जनता की छाती पर चढ़ कर
भाषण मत दे !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
...
यह आज़ादी तू ही रख ले
लूट-मार कर खाने वाली
सब का हक़्क़ दबाने वाली
सब का गला काटने वाली
हर आज़ादी
तू ही रख ले !
लाल क़िले के ऊपर चढ़ जा
हाथ उठा कर
खुल कर चिल्ला
जितना झूठ बोल सकता है
ज़ोर-ज़ोर से बोल आज सब
तेरा दिन है !
हमको ऐसी आज़ादी तो
नहीं चाहिए
आटा-दाल, सब्ज़ियां ग़ायब
हर ग़रीब की थाली ख़ाली
हर किसान के माथे पर
पड़ रही लकीरें
जाने कब आ जाए महाजन
जाने कब बिक जाए खेत-घर !
हर अमीर को खुली छूट हो
सारा काला-पीला जायज़ !
जाने किसकी है आज़ादी
जाने कैसी यह आज़ादी
रख ले, भैये !
यह आज़ादी तू ही रख ले
अपनी हम ख़ुद ले आएंगे
लड़ कर, भिड़ कर
जैसे भी हो !
रख ले, भैये ! यह आज़ादी
जनता की छाती पर चढ़ कर
भाषण मत दे !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
...