शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

...तो अभिशप्त हैं आप !

आप  षड्यंत्रों  का  प्रतिकार  कैसे  करते  हैं ?
ख़ास  तौर  पर  वे
जो  सीधे  आपके
आपके  घर-परिवार
आपके  वर्ग,  आपकी  जाति,
आपका  समाज
या  देश  के  विरुद्ध  हों ?

आप  शायद  आवाज़  उठाते  हों
जोर-जोर  से
या  बुलाते  हों  अपने  साथियों,
समूहों   को  मदद  के  लिए
या  सिर्फ  प्रतीक्षा  करते  रह  जाते  हों
अगले  चुनाव  की….

हो  तो  यह  भी  सकता  है
कि  आप  कुछ  न   करते  हों
सह  जाते  हों
सारी   पीड़ा,  सारा  अपमान
चुप  रह  कर
और  अपने  बच्चों  को  भी
यही  शिक्षा  देते  हों
कि  सब-कुछ
नियति  का  खेल  है
भगवान  की  इच्छा…

अगर  ऐसा  है
तो  अभिशप्त  हैं  आप
कई-कई  पीढ़ियों  का  भविष्य
बर्बाद  करने  के  लिए !

                                           ( 2013 )

                                    - सुरेश  स्वप्निल

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