शनिवार, 21 दिसंबर 2013

मैं नियंता हूं ...!

लो,  मैंने  धो  दिए
सारे  चरित्र
और  डाल  दिया  है  उन्हें
अलगनी  पर
सूखने  के  लिए

तुम  इस  बार
स्वयं  चुन  सकते  हो
अपना  चरित्र
अपनी  इच्छा,  सुविधा
और  स्वभाव  के  अनुरूप

लेकिन  ध्यान  रहे
अंतिम  निर्णय  मेरा  ही  होगा
मैं  नियंता  हूं  इस  कहानी  का
और  तुम 
एक  चरित्र  मात्र

यह  भी  ध्यान  रखना
कि  हर  बार  केंद्रीय  भूमिका
आवश्यक  नहीं  होती !

तुम  निश्चय  ही  स्वतंत्र  हो
चरित्र  चुनने  के  लिए
किंतु  कहानी  और  संवादों  में
परिवर्त्तन  के  लिए  नहीं

जब  तक  तुम  इस  कहानी  में  हो
किसी  भी  भूमिका  में
तुम्हें  मानने  ही  होंगे  मेरे  निर्देश
इस  से  अधिक  की  आशा  मत  करो

यदि  तुम  अब  भी  असंतुष्ट  हो
तो  लिख  सकते  हो
स्वयं  अपनी  कहानी
तुम  चाहो  तो
बाहर  निकल  सकते  हो
इस  कहानी  से…

जो  भी  निर्णय  हो  तुम्हारा
सूचित  कर  देना  मुझे
चरित्रों  के  सूखने  से  पहले !

                                             ( 2013 )

                                        -सुरेश  स्वप्निल 

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