मंगलवार, 20 अगस्त 2013

पुलिस सर्वशक्तिमान है !

कल  रात
सपने  में  आई  थी  पुलिस
और  छीन  ले  गई
अभिव्यक्ति  की   स्वतंत्रता

डंडे  मार-मार  कर
झड़ा  दिए  सारे  शब्द
खुरच-खुरच  कर
मिटा  गई  राजनैतिक  समझ
लूट  ले  गई
वैचारिक  चेतना  …


यह  जानते  हुए  भी
कि  यह  मौलिक  अधिकार  है
भारतीय  संविधान  में  …

मगर  पुलिस  को  कौन  समझा  सकता  है
सही  और  ग़लत  का  फ़र्क़
कौन  सिखा  सकता  है
मानवीय  व्यवहार ?

पुलिस  सर्वशक्तिमान  है
जब  तक  उसके  शरीर  पर
चिपकी  हुई  है
ख़ाकी  वर्दी
और  हाथ  में  है  डंडा !

शुक्र  है  कि  यह
स्वप्न  ही  था
बेहद  डरावना  …

मगर  यह  दु:स्वप्न
सत्य  में  बदल  सकता  है
किसी  भी  दिन  …

यह  भारत  है
मानवाधिकार  के  रखवालों !

                                           ( 2013 )

                                   -सुरेश  स्वप्निल